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पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन Former Union Minister Jaswant Singh passed away

 पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन

Former Union Minister Jaswant Singh passed away

जसवंत सिंह साल 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में उतरे थे.

 


पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह का 27 सितम्बर 2020 को सुबह निधन हो गया. वे काफी समय से बीमार चल रहे थे. वे 82 साल के थे. वे पिछले छह साल से कोमा में थे. उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी.वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि जसवंत सिंह जी को राजनीति और समाज के मामलों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में भी योगदान दिया. मैं हमेशा हमारी बातचीत को याद रखूंगा.

  

अगस्त 2014 से बीमार थे

वे अगस्त 2014 में अपने घर में गिरने के बाद से बीमार थे. साल 2014 में घर में गिरने के कारण जसवंत सिंह के सिर में गंभीर चोट आई थी जिसके बाद से वो कोमा में थे. उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें इसके बाद से कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें इस साल जून में दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

 

जसवंत सिंह का राजनीति करियर

    जसवंत सिंह साल 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में उतरे थे. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में वह अपने करियर के शीर्ष पर थे. साल 1998 से साल 2004 तक राजग के शासनकाल में जसवंत ने वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालयों का नेतृत्व किया.

    भारतीय सेना में लंबे समय तक सेवा देने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. जसवंत सिंह संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे. वे साल 1996 में वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए.

    वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त जैसे तीनों अहम विभागों के भी मंत्री थे. इसके अतिरिक्त उन्‍हें योजना आयोग का उपाध्‍यक्ष भी बनाया गया था.

    साल 1998 और 1999 में जसवंत सिंह को भारत का विदेशी मंत्री नियुक्त किया गया था. वे राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल गांव के निवासी है और साल 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी रहे. पंद्रह साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे.

 

करगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था. यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे. इन आतंकियों को लेकर जसवंत सिंह ही कंधार गए थे. साल 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे. तब जसवंत सिंह ने ही अमेरिका से बातचीत की थी. साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही.

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