केन्द्रीय विश्वविद्यालय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास
October 11, 2020
केन्द्रीय विश्वविद्यालय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
ज्ञानी कीड़ा 5G। उत्तर प्रदेश में अब कई केन्द्रीय और अन्य राज्य विश्वविद्यालय हैं। सुविधाएं भी छात्रों के लिए बढ़ी हैं। इन सबके बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का क्रेज छात्रों के बीच में अभी भी बना हुआ है। यहां पर उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार के छात्रों की भी अच्छी संख्या रहती है। समय बीतता गया लेकिन इतने वर्षों के बाद भी छात्रों के बीच में अभी भी एएमयू का क्रेज बरकरार है। यह पहले एक कॉलेज था जो बाद में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में आया। पढ़िए रिपोर्ट।
यहां से हुई थी शुरुआत
यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज था जिसकी स्थापना मुस्लिम समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने की थी। जिसमें अब पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिक पाठ्यक्रम चलते हैंं। उस समय सर सैयद अहमद खान ने नई शिक्षा की आवश्यकता के मुताबिक 1875 में एक स्कूल चालू किया जो आगे चलकर मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज बना। वर्ष 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। यह विश्वविद्यालय दुनिया के सभी कोनों से विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों के पढ़ने का केेन्द्र बना है। कुछ पाठ्यक्रमों में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं। एएमयू से पढ़ने वाले प्रधानमंत्री से लेकर उपराष्ट्रपति तक बने साथ ही साथ एएमयू ने दिए 47 हाईकोर्ट जज भी दिए।
हॉस्टल की अच्छी सुविधा
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हॉस्टल की अच्छी सुविधा। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। इसके मौलान आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख पुस्तकों के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं।
एएमयू में हैंं 12 संकाय
एएमयू विश्वविद्यालय में कुल 12 संकाय हैंं।
कृषि विज्ञान : इस संकाय की स्थापना वर्ष 1993 में हुई। जिसमें विभाग हैं। कृषि अर्थशास्त्र और व्यवसाय प्रबंधन, पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, कृषि माइक्रोबायोलॉजी, पौध रक्षा और गृृह विज्ञान विभाग है।
कला संकाय, वाणिज्य, अभियांत्रिकी और प्राद्योगिकी, विधि संकाय, जीवन विज्ञान, चिकित्सा, प्रबंधन अध्ययन और अनुसंधान, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, धर्मशास्त्र, यूनानी चिकित्सा जैसे संकाय है।
वर्ष 1877 में लाइब्रेरी की स्थापना
साढ़े चार लाख दुर्लभ पुस्तकें पांडुलिपिया व शोधपत्र ऑनलाइन। अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता। चार सौ साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि। तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र। चौदह सौ साल पुरानी कुरान। मुगल शासकों के कुरान लिखे विशेष कुर्ते जो रक्षा कबज, सर सैयद की पुस्तकें व पांडुलिपिया, जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग मौजूद है।
बना है बड़ा संग्रहालय
एएमयू के मूसा डाकरी संग्रहालय में अनेक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण वस्तुएँ तो हैं ही सर सैयद अहमद का 27 देव प्रतिभाओं का वह कलेक्शन भी है। महावीर जैन का स्तूप और स्तूप के चारों ओर आदिनाथ की 23 प्रतिमाएं, सुनहरे पत्थर से बने पिलर में कंकरीट की सात देव प्रतिमाएं, एटा व फतेहपुर सीकरी से खोजे गे बतर्न, पत्थर व लोहे के हथियार, शेष शैया पर लेटे भगवान विष्णु कंकरीट के सूर्यदेव
एएमयू के इन विद्वानों को मिला बड़ा सम्मान
डॉ. जाकिर हुसैन 1963, खान अब्दुल गफ्फार खान 1983 में भारत रत्न मिला और वहीं डॉ. जाकिर हुसैन 1954, हाफिज मुहम्मद इब्राहिम 1967, सैयद बसीर हुसैन जैदी 1976 प्रो. आवेद सिद्दीकी 2006, प्रो. राजा राव 2007, प्रो. एआर किदवई 2010 में पद्मविभूषण से नवाजा गया।
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री एएमयू के
लियाकत अली खान, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री, अली अशरफ फातमी भारत सरकार में पूर्व मानव संसाधन राज्यमंत्री, साहिब सिंह वर्मा भाजपा नेता एवं दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, मोहम्मद हामिद अंसारी भारत के उपराष्ट्रपति, मेजर ध्यानचंद प्रमुख हॉकी खिलाड़ी, लाला अमरनाथ भूतपूर्व क्रिकेट खिलाड़ी मोहिंदर, ईश्वरी प्रसाद इतिहासकार, कैफी आजमी उर्दू कवि, राही मासूम रजा लेखक, जावेद अख्तर गीतकार एवं शायर, नसीरुद्दीन शाह फिल्म अभिनेता एएमयू के पढ़े हुए हैं।
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