अश्वगंधा कई बीमारियों के लिए है रामबाण

अश्वगंधा क्या है ?
आयुर्वेदिक औषधियों में अश्वगंधा का नाम बहुत लोकप्रिय है। सदियों से कई रोगों के इलाज में अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जाता रहा है। महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में अश्वगंधा का नाम लिया जाता है।
अथर्ववेद में भी अश्वगंधा के उपयोग एवं उपस्थिति के बारे में बताया गया है। भारतीय पारंपरिक औषधि प्रणाली में अश्वगंधा को चमत्कारिक एवं तनाव-रोधी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इस वजह से तनाव से संबंधित लक्षणों और चिंता विकारों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटियों में अश्वगंधा का नाम भी शामिल है।
असगंध का नाम अश्व और गंध से लिया गया है। अश्वगंधा की जड़ और पत्तों से घोड़े के मूत्र एवं पसीने जैसी दुर्गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा रखा गया है। आयुर्वेदिक शोधकर्ताओं का भी मानना है कि अश्वगंधा के सेवन से अश्व (घोड़े) जैसी ताकत और यौन शक्ति मिलती है।
अश्वगंधा से जुड़े कुछ तथ्य
- वानस्पतिक नाम: विथानिया सोमनिफेरा
- वंश: सोलेनेसी
- संस्कृत नाम: अश्वगंधा, वराहकर्णी और कमरूपिणी
- सामान्य नाम: विंटर चेरी, भारतीय जिनसेंग, असगंध
- उपयोगी भाग: अधिकतर अश्वगंधा की जड़ और पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसके फूल और बीज भी उपयोगी हैं।
- भौगोलिक विवरण: अश्वगंधा अधिकतर भारत के शुष्क प्रदेशों (प्रमुख तौर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान) के अलावा नेपाल, अफ्रीका और मध्य पूर्व में पाई जाती है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इसका वर्णन किया गया है।
गर्भवती महिलाओं को अश्वगंधा का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें गर्भ गिराने वाले गुण हैं।
अश्वगंधा का उपयोग करते समय डॉक्टर सावधानी रखने की सलाह देते हैं क्योंकि अश्वगंधा सामान्य रूप से ली जा रही दवाइयों के साथ हस्तक्षेप कर सकता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो मधुमेह, हाई बीपी, चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।
बड़ी मात्रा में अश्वगंधा की खपत से बचें क्योंकि ऐसा करने पर दस्त, पेट की ख़राबी और मतली जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
ज़्यादा मात्रा में अश्वगंधा लेने से कुछ नुक्सान हो सकते हैं :
ज़्यादा अश्वगंधा खाने से उलटी आना, पेट ख़राब होना या डायरीआ जैसी समस्या हो सकती है। कुछ लोगों को अश्वगंधा से एलर्जी भी हो सकती है।
अश्वगंधा कुछ दवाइयों के असर बढ़ा या फिर घटा सकता है :
- नींद की दवा -
अश्वगंधा शरीर में नींद लाने और ऊर्जा बढ़ाने का कार्य करता है। वो इन दवाइयों का असर बढ़ा भी सकता है और कम भी कर सकता है। मुख्य रूप से बेंज़ोडियाज़पीन लेते समय ध्यान रखें। याद रखें कि अश्वगंधा कोई नींद लाने की दवा नहीं है।
- रोग निरोधक शक्ति घटाना -
हमारे शरीर की बाहरी तत्वों की तरफ क्या प्रतिक्रिया है, अश्वगंधा इसको संतुलित करता है। इससे ये उन दवाइयों का असर कम कर देता है जो हमारे शरीर की रोग निरोधक शक्ति बढाती है। जिन लोगों को ऑटोइम्म्यून की समस्या है उन्हें अश्वगंधा नहीं लेना चाहिए।
- डायबिटीज संतुलित करने वाली दवाइयां -
अश्वगंधा से डायबिटीज कम होती है। ये आपका ब्लड शुगर स्तर 12% कम कर देता है। अगर आप पहले से ही डायबिटीज की दवाइयां ले रहे हैं तो उसके साथ अश्वगंधा ना लें क्यूंकि इससे आपका ब्लड शुगर स्तर सामान्य से भी नीचे गिर जायेगा।
- बीपी कम करने वाली दवाइयां -
अगर आप हाई बीपी कम करने के लिए दवाइयां ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि उनके साथ आप अश्वगंधा ना लें। ऐसा ना करने से आपका बीपी बहुत कम हो सकता है।
- थाइरोइड के लिए दवाइयां -
अश्वगंधा को सही मात्रा में लेने से आपका थाइरोइड संतुलित हो जाता है और आपका चयापचय भी सही हो जाता है। परन्तु अगर आप पहले से थाइरोइड की दवाइयां ले रहे हैं तो अश्वगंधा ना लें चाहे वो हाइपरथाइरोइडिज़्म के लिए हो या हाइपोथयरॉइडिज़्म के लिए।

अश्वगंधा का सेवन कैसे करे -
अश्वगंधा जड़ बाजार में या तो पाउडर के रूप में, सूखे रूप में, या ताज़ा जड़ के रूप में उपलब्ध होती है।
आप 10 मिनट के लिए पानी में अश्वगंधा पाउडर को उबालकर अश्वगंधा की एक चाय बना सकते हैं। पानी के एक कप में पाउडर के एक चम्मच से अधिक प्रयोग न करें।
आप सोने से पहले अश्वगंधा जड़ पाउडर गर्म दूध के एक गिलास के साथ भी ले सकते हैं।
अश्वगंधा का उपयोग कैसे करे -
अश्वगंधा से चाय बनाने का तरीका -
- अश्वगंधा की सूखी हुई जड़ के पाउडर के 2 चम्मच लें।
- इसे 3.5 कप उबलते हुए पानी में डालें।
- इसे 15 मिनट तक उबलने दें।
- इसे अच्छे से छान लें ताकि कोई कण पानी में ना रहे।
- रोज़ 1/4 कप पिएं।
अश्वगंधा और घी का मिश्रण -
- 2 चम्मच अश्वगंधा को 1/2 कप घी में भून लें।
- 1 चम्मच खजूर से बनी चीनी उसमें मिलाएं।
- इस मिश्रण को फ्रिज में रखदें।
- इस मिश्रण का 1 चम्मच दूध या पानी के साथ लें।
अश्वगंधा को किसी अन्य पदार्थ के साथ मिलाकर लेना -
- 1/2 कप सूखी, कटी हुई अश्वगंधा की जड़ को एक डिब्बे में रखें।
- उसके ऊपर 80 से 100 एमएल वोडका या रम के दो कप उसके ऊपर डालें।
- उस डिब्बे को धक् कर रख दें और एक अँधेरी जगह पर 2 हफ्ते से 4 महीने तक रख दें - बीच-बीच में मिश्रण को हिला लिया करें।
- जब आपका मिश्रण बन शुका होगा, उससे ध्यान से एक शीशे या कोबाल्ट के गिलास में दाल कर रखलें। उसमें एक ड्रॉपर भी दाल लें जिससे उस मिश्रण को निकालने में आसानी हो।
- अश्वगंधा मिश्रण कीे 40-50 बूँदें 120 एमएल पानी में मिलाकर पिएं। इसका दिन में 3 बार सेवन करें या अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
आज कल के समय में, लोग अश्वगंधा के कैप्सूल लेना ज़्यादा पसंद करते हैं क्यूंकि इनका सेवन करना आसान होता है। इनकी क़्वालिटी भी अच्छी होती है और ये ज़्यादा मात्रा में मिल जाते हैं।
अश्वगंधा के रोज़ 1-2 कैप्सूल, 2 बार लेने चाहिए।
तासीर
अश्वगंधा की तासीर कैसी होती है?
अश्वगंधा शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है। इसे अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर लेना चाहिए जिससे शरीर में ज़्यादा गर्मी उत्पन्न ना हो।
अश्वगंधा से पित्त बढ़ता है :
आयुर्वेदा के अनुसार, अश्वगंधा से पित्त (शरीर में बदलाव लाने वाला दोष) बढ़ता है और कफ दोष (शरीर में संचयन करने वाला दोष) और वात दोष (शरीर में बहाव लाने वाला दोष) को कम कर देता है। शरीर में कोई विकार आने के कारण इन तीनो मुख्य दोषों में बदलाव आ सकता है। जैसे, कम पित्त होने के कारण चयापचय कमज़ोर हो जाता है, अपच, शरीर में दूषित पदार्थों का इकठ्ठा होना और यादाश्त खोना।
पित्त की कमी को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। परन्तु, जिनके शरीर में पहले से ही पित्त की मात्रा ज़्यादा है उन्हें अश्वगंधा लेते समय सावधान रहना चाहिए क्युकी शरीर में पित्त ज़्यादा होने से एसिडिटी, पेट में छाले, त्वचा पर चकत्ते और चिंता हो सकती है।
अश्वगंधा से फायदे -

प्रतिरक्षा प्रणाली में
शोध अध्ययनों से पता चला है कि अश्वगंधा का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाता है। चूहों के ऊपर किए गए प्रयोग में पाया गया कि अश्वगंधा के सेवन से चूहों में लाल रक्त कोशिका और सफेद रक्त कोशिकाओं में भी वृद्धि हुई। इससे यह माना जा सकता है कि आदमी की लाल रक्त कोशिकाओं पर अश्वगंधा के सेवन से सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जिससे एनीमिया जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
मधुमेह के लिए
अश्वगंधा लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में सुगर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया गया है। डायबिटीज के उपचार में अश्वगंधा के उपयोग पर अनुसंधान ने सकारात्मक परिणाम का संकेत दिया है। प्रयोगों ने दर्शाया कि जब अश्वगंधा का सेवन चार सप्ताह की अवधि के लिए किया गया, तब उपवास और दोपहर के खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आई।
बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अश्वगंधा खाने से ब्लड शुगर स्तर कम होता है।
एक टेस्ट ट्यूब स्टडी में देखा गया था की अश्वगंधा खाने से इन्सुलिन की मात्रा शरीर में बढ़ती है और मांसपेशियों में इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है।
मनुष्यों पर अध्ययन करने से पता चला है कि अश्वगंधा खाने से स्वस्थ और डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर स्तर कम हो जाता है।
कामोद्दीपक गुण
शताब्दियों से माना गया है कि अश्वगंधा में कामोद्दीपक गुण है और लोगों ने इसे एक दवा के रूप में इस्तेमाल किया ताकि उनकी जीवन शक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार हो। हाल ही के एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह दर्शाया गया कि अश्वगंधा कामोद्दीपक दवा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अच्छी तरह से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह पूरे शरीर में तनाव भी कम कर देता है।
थायराइड के लिए
हाइपोथायरायडिज़्म के मामलों में, अश्वगंधा का इस्तेमाल थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। थायरॉयड ग्रंथि पर अश्वगंधा के प्रभाव पर एक अध्ययन से पता चला है कि इसकी जड़ों का एक्सट्रैक्ट, अगर प्रतिदिन लिया जाए, तो थायराइड हार्मोन के स्राव में वृद्धि होगी।
चयापचय में लाभ
अश्वगंधा एंटीऑक्सीडेंट का एक बहुत अच्छा स्रोत है। ये एंटीऑक्सीडेंट चयापचय (metabolism) की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न मुक्त कण को साफ और निष्क्रिय करने में बहुत प्रभावी रहे हैं।
मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लेन
अश्वगंधा निचले अंगों की मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लाने और कमज़ोरी दूर करने में उपयोगी पाया गया है। यह मस्तिष्क और मासपेशियों के बीच समन्वय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा से शरीर की संरचना और ताकत बढ़ती है।
पुरुषों में अश्वगंधा खाने से मांसपेशियां तंदरुस्त होती हैं, शरीर के चर्बी घटती है और ज़ोर बढ़ता है।
मोतियाबिंद से लड़ने में
त्यागराजन एट अल द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट और साइटोप्रोटेक्टिव गुण मोतियाबिंद रोग से लड़ने में अच्छे हैं।
त्वचा की समस्या के लिए
श्रृंगीयता (keratosis) के कारण त्वचा सख्त और रूखी हो जाती है। अश्वगंधा का उपयोग श्रृंगीयता (keratosis) के इलाज में किया जाता है। श्रृंगीयता की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में दो बार पानी के साथ तीन ग्राम अश्वगंधा लें। त्वचा को युवा रखने के लिए यह कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता है और प्राकृतिक त्वचा तेलों की वृद्धि में मदद करता है। अश्वगंधा में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो झुर्रियों, काले धब्बे जैसे उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ने में सहायक हैं। अश्वगंधा त्वचा कैंसर से भी बचाता है।
बालों के लिए
अश्वगंधा शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के गिरने को नियंत्रित करता है। अश्वगंधा बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले बालों के ग्रे होने को रोकता है। अश्वगंधा में टाइयरोसीन है जो एक एमिनो एसिड है और शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
अश्वगंधा से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं। अश्वगंधा और नारियल तेल से बनाया गया टॉनिक रोज़ बालों पर लगाने से बाल नहीं झड़ते।
अश्वगंधा को गिलोय में मिलाकर लगाने से हड्डियों को सहारा मिलता है और खोपड़ी बालों को संभालने के लिए मज़बूत होती है।
सामान्य से कम नींद मिलने पर तनाव होता है। कम सोने से तनाव और चिंता बढ़ती है जिससे ज़्यादा बाल झड़ते हैं। अश्वगंधा से अच्छी नींद आती है और वो चिंता को कम करता है जो बाल झड़ने का मुख्य कारण है। लम्बे समय से चले आ रहे तनाव से ग्रस्त वयस्कों का अध्ययन करने पर पता चला कि अश्वगंधा लेने से अनिद्रा और चिंता 69.7% कम होती है।
व्यस्क पुरुषों में अध्ययन करने से पता चला कि अश्वगंधा लेने से बालों में मेलानिन की मात्रा बढ़ी है।
ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदे
अश्वगंधा, अपने सूजन कम करने के गुण, एंटीऑक्सीडेंट और तनाव कम करने के गुणों के साथ, हृदय स्वास्थ्य की समस्याओं के लिए अच्छा है। यह हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत बनता है।
कैंसर के लिए
एक अध्ययन में कैंसर को खत्म करने के लिए ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में, विकिरण चिकित्सा और रसायन चिकित्सा के साथ अश्वगंधा को एक उभरता हुआ सहयोगी विकल्प है। यह ट्यूमर सेल को खत्म करने की गतिविधि के साथ बिना हस्तक्षेप किए कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जाना जाता है।
जानवरों और टेस्ट-ट्यूब में की जाने वाली जांच से पता चला है कि अश्वगंधा खाने से एपोप्टोसिस बढ़ता है जो कैंसर कोशिकाओं को मारने की एक विधि है। ये कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने में भी रोक सकती है।
अश्वगंधा "रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज़" (reactive oxygen species) बनता है जिससे कैंसर सेल ख़तम होते हैं। इससे कैंसर सेल एपोप्टोसिस का सामना नहीं कर पाते और ख़तम हो जाते हैं।
अवसाद में असर
भारत में अश्वगंधा पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में शारीरिक और मानसिक दोनों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। भारत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान संस्थान में, मानसिक स्वास्थ्य पर अश्वगंधा के प्रभाव को, विशेष रूप से अवसाद (depression) में, अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन ने चिंता और अवसाद के संबंध में अश्वगंधा के लाभों का वर्णन किया है।
60 दिन तक 64 चिंता से ग्रस्त वयस्कों पर अध्ययन करने पर पता चला कि जो लोग एक दिन में 600 मिलीग्राम अश्वगंधा खाते थे उनमें डिप्रेश 79% कम हुआ और जो लोग इसका सेवन नहीं करते थे उनमें 10% समस्या और बढ़ गई थी।
तनाव विरोधी गुण
अश्वगंधा में तनाव को कम करने वाले गुण भी पाएं जाते हैं। परंपरागत रूप से, इसका उपयोग व्यक्ति पर सुखद और शांत प्रभाव देने के लिए किया जाता था। वह सक्रिय संघटक जो इस गतिविधि के लिए ज़िम्मेदार है वह अभी भी अज्ञात है, लेकिन विभिन्न अनुसंधान प्रयोगों में अश्वगंधा में तनाव विरोधी गुण देखे गए हैं। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि अश्वगंधा के प्रयोग से चरम तापमान बदलाव में रखे पशुओं के तनाव के स्तर में भी उल्लेखनीय कमी आई।
अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा लेने से चूहों के दिमाग में केमिकल सिगनल पहुँचने से तनाव नहीं रहता।
कुछ मनुष्यों पर जांच करने से पता चला है कि अश्वगंधा लेने से तनाव और चिंता की समस्या बहुत कम हो जाती है।
संधिवात के लिए
अश्वगंधा संधिवात (rheumatologic problems) की समस्याओं के लिए प्रभावी पाया गया है। यह जड़ी बूटी सूजन और दर्द को कम करने के लिए जानी जाती है। काइरोप्रेक्टर्स के लॉस एंजिल्स कॉलेज द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि अश्वगंधा में सूजन कम करने के गुण हैं जो इसमें मौजूद अल्कलाइड्स, सपोनिंस और स्टेरॉइडल लैक्टोन्स से आते हैं।
बैक्टीरिया के संक्रमण में लाभ
आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार, अश्वगंधा मानव में बैक्टीरिया के संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी है। भारत में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा में जीवाणुरोधी गुण हैं और मौखिक रूप से इसके सेवन किए जाने पर यह मूत्रजनन, जठरांत्र और श्वसन तंत्र के संक्रमण में बहुत प्रभावी है।
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