
सरकार को चाहिए कि सीसा के फैलने वाले प्रदूषण से लोगों को जागरूक करने के लिये मुहिम चलायें। जिम्मेदार एजेन्सियों व अधिकारियों को धन मुहैया करायें ताकि इस तरह के प्रदूषण से लड़ने के लिये कार्य योजना तैयार कर सकें और लोगों को सीसा के प्रदूषण से होने वाले खतरों से बचा सकें।सीसा (लेड) पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है। सन 1991 में अमेरिका में इसे पर्यावरण प्रदूषक कारकों में सबसे प्रमुख कारक माना गया। एक सर्वे के माध्यम से अमेरिका ने ये साबित कर दिया कि सीसा विभिन्न तरीकों से मानव जीवन को हानि पहुँचा रहा है और वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। हवा, पानी मिट्टी, धूल के कण व पेंट आदि इन सबमें सीसा मौजूद रहता है और साँस के साथ फेफड़ों में पहुँच कर तरह-तरह की बीमारियाँ फैलाता है। पहले लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं था कि पेंट, गैसोलीन, पानी के पाइपों वगैरह में इस्तेमाल होने वाला सीसा इन्सान के स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह हैं। अमेरिका में पेंट में सीसा आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता था। इसके दुष्प्रभाव का पता उस वक्त चला जब सीसा से बने हुए पेंट की सूखी सतह से सीसा के कण पाये गये।
मानव स्वास्थ्य पर सीसा का बुरा प्रभाव
सीसा मानव शरीर के हर हिस्से पर अपना प्रभाव डालता है। यदि मानव रक्त में 80 माइक्रोग्राम या उससे ज्यादा सीसा मौजूद हो तो बेचैनी, दौरे की समस्या या यहाँ तक कि मौत का खतरा बढ़ जाता है। इससे कम सीसा की मौजूदगी से भी मानव स्वास्थ्य, खासकर गुर्दे और खून के कोशिका (Cell) को नुकसान पहुँचाता है। यहाँ तक कि अगर खून में इसकी मात्रा 10 माइक्रोग्राम भी हो तो उससे मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है। सीसा और उसके कम्पाउन्ड के उन खतरों की जानकारी विशेषज्ञों (Expert) ने इकट्ठा की है। सीसा का बुरा असर गर्भ में बच्चों पर भी पड़ता है। इनकी देखभाल करते रहना जरूरी है। इन प्रभावों से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है। सोचने-समझने की ताकत कमजोर हो जाती है।
इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी जगहें जहाँ सीसा के कण हों, जैसे खिड़की, घर के चौखटे या ऐसी जगहें जहाँ से सीसा के कण आसानी से हवा में फैल जायें, ऐसी जगहों पर सीसा वालें पेंट आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही ऐसे पेंट को दीवारों व खिड़कियों से खुरच के छुड़ाना चाहिए। ऐसा करने से सीसा के कण हवा में फैल सकते हैं और वह साँस द्वारा शरीर के अन्दर प्रवेश कर शरीर को हानि पहुँचा सकते हैं। घर में सीसा के कणों वाली धूल को घर में नहीं आने देना चाहिए।
अगर आप इमारत गिराने या बनाने का काम या बैट्रियों और बिजली के सामानों का कारोबार करते हैं तो आपकी नासमझी से आपके हाथ और कपड़ों के जरिये सीसा के कण आपके घर में आ सकते हैं। इसी तरह सीसा से प्रदूषित मिट्टी सड़कों और घरों के बाहर जमीन से जूतों के जरिये घरों के अन्दर दाखिल हो सकती है। इसी तरह उन मोटरों और ट्रकों से निकलने वाली गैस जिनमें सीसा मिला तेल या गैस इस्तेमाल किया जाता है, वातावरण में प्रदूषण फैलाती रहती हैं। इसलिये आपको चाहिए कि घरों में दाखिल होने से पहले पायदान पर जूते रगड़कर साफ कर लें और अपने कपड़े बदल लें। अपने बच्चों को आम मिट्टी की जगह रेतीली जगहों पर खेलने दीजिए क्योंकि आम मिट्टी के कण उनकी उंगलियों और खिलौनों में चिपक जाते हैं। जब बच्चे खेलकर घर में आये तो उनके हाथ खासतौर से धुलवाना चाहिए।
पीने के पानी में प्रदूषण
आमतौर पर कुएँ या शहर के जलाशयों में सीसा नहीं पाया जाता। अलबत्ता घर के अन्दर रंगों की फिटिंग और मरम्मत के दौरान पानी में सीसा के कण घुस जाते हैं। इसका पता लगाने के लिये पानी की जाँच करवाते रहना चाहिए।
पौष्टिक भोजन
बच्चों को कैल्शियम और लौह तत्वों युक्त खाना खिलाना चाहिए ताकि जैसे माँस, अण्डा, मटर, दूध, मक्खन आदि। खाने की चीजों को कभी सीसा के बर्तनों या बाहर से मँगाये हुए बर्तनों में नहीं रखना चाहिए क्योंकि उनमें सीसा होता है। इसी तरह छपी थैलियों में छपाई वाला हिस्सा ऊपर रखना चाहिए ताकि वो खाने-पीने से दूर रहें।
सावधानी
सरकार को चाहिए कि सीसा के फैलने वाले प्रदूषण से लोगों को जागरूक करने के लिये मुहिम चलायें। जिम्मेदार एजेन्सियों व अधिकारियों को धन मुहैया करायें ताकि इस तरह के प्रदूषण से लड़ने के लिये कार्य योजना तैयार कर सकें और लोगों को सीसा के प्रदूषण से होने वाले खतरों से बचा सकें।
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